हाल में व्हाट्स एप ने एंड टू एंड सिक्योरिटी फीचर को शुरू किया था। यह एक बहुत ही सुरक्षित फीचर है जिसके कारण किसी की भी व्हाट्स एप चैट के एक शब्द को भी को डिक्रिप्ट करने में कई घंटे और दिन लग जाएंगे। ये कुछ वैसा ही होगा जैसा कि टेलिग्राम के एन्क्रिप्टेड मैसेज में होता है। ये मैसेजिंग एप्स चाहे जितना खुद को सुरक्षित बना लें इनकी सुरक्षा में फिर भी सेंध आसानी से लगाई जा सकती है और आपके मैसेजेस हैकर्स आसानी से हैक कर सकते है। दरअसल इसमें दोष मैसेजिंग एप या उसकी सर्विस का नही है बल्कि यह खामी आपके टेलिकॉम ऑपरेटर की टेक्नोलॉजी के कारण है।
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दरअसल टेलिकॉम ऑपरेटर्स Signalling System 7, or SS7 टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते है और यही आपकी प्राइवेसी में सेंध लगाने का अपराधी है क्योंकि यही वह टेक्नोलॉजी है जिसपर बहुत अधिक सुरक्षित माने जाने वाले मैसेजिंग सिस्टम और टेलीफोन कॉल्स निर्भर करती है। 1975 में SS7को टेलीफोनिक प्रोटोकॉल के लिए विकसित किया गया था। यह लोकल नंबर पोर्टेबलिटी, प्रीपेड बिलिंग, शॉर्ट मैसेज सर्विस यानि एसएमएस और अन्य मास मार्केट सर्विसेज को दिखाता है।
2008 में यह बात सामने आई कि कई SS7 में अतिसंवेदनशीलता यूजर्स को गुप्त रूप से फोन कॉल ट्रैक करने देता था। 2014 में प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रोटोकॉल की नाजुकता के कारण सरकारी एजेंसियों और अन्य लोगों के सेलफोन की सुरक्षा को आसानी से भेदा जा सकता है।
फिलहाल SS7 विश्व भर के सेल्यूलर नेटवर्क प्रदाताओं द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इस दोष को सही करने के लिए न कोई उपाय हुआ है और न ही कोई सरकारी कदम उठाया गया है। यह सबसे आसान तरीका है जिससे हैकर आसानी से किसी के भी सुरक्षित मैसेजेस प्लेटफॉर्म पर कंट्रोल प्राप्त कर सकते है।
Posted by nlparmar
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