हर वीकेंड पर 600 किमी दूर बच्चों को पढ़ाने आता है ये मैनेजर
तिमली विद्यापीठ में पढ़ाते हैं आशीष डबराल
वालंटियर ऑफ द इयर का पुरस्कार मिला
गुड़गांव में काम करते हैं आशीष
हर वीकेंड पर 600 किमी का सफर करते हैं
जज्बा किसे कहते हैं ये आशीष डबराल से पूछिए। जहां वीकेंड पर हर युवा मॉल या मूवी देखने की सोचता है वहीं आशीष 600 किलोमीटर तय करके अपने गांव में पढ़ाने जाते हैं।
उत्तराखंड में पहाड़ से पलायन रोकने को वहां शिक्षा का स्तर सुधारने की हर कोशिश में लगे पौड़ी के छोटे से गांव तिमली के युवा आशीष डबराल के समर्पण को ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी ने भी सलाम किया है।
29 फरवरी को लंदन में आयोजित कार्यक्रम में उनको कंपनी के विश्व के सभी कर्मचारियों में से उनके सामाजिक कार्यों के आधार पर वालंटियर ऑफ़ द ईयर चुना गया।
बता दें कि तिमली का यह युवा गुड़गांव स्थित ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर तैनात है और हर वीकेंड पर गांव में 600 किमी का लंबा सफर तय कर बच्चों को पढ़ाने पहुंचता है।
शिक्षा की दयनीय हालत और उसके कारण बढ़ते पलायन को देख उन्होंने साल 2014 में गांव में तिमली विद्यापीठ स्थापित की थी।
ब्रिटिश टेलीकॉम चेयरमैन अवार्ड में यूनाइटेड किंगडम और अन्य देशों में कार्यरत कर्मचारियों में से विगत दिसंबर माह में शीर्ष 10 लोगों को उनके सामाजिक कार्यों के आधार पर चुना गया।
उसके बाद 29 फरवरी को अवार्ड समारोह में सभी के द्वारा किए गए कार्यों की एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई, जिसके आधार पर जजों ने उनको वालंटियर ऑफ़ द ईयर घोषित किया गया।
सिविल सोसाइटी मिनिस्टर रॉब विल्सन, बीटी ग्रुप के चेयरमैन सर माइकल रेक, बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार क्लेयर बालडिंग ने उन्हें पुरस्कृत किया।
पुरस्कार स्वरूप डबराल को करीब एक लाख रुपये मिले हैं। अमर उजाला से बातचीत में डबराल ने बताया कि वह इस धनराशि से विद्यापीठ के लिए एक स्कूली वैन खरीदेंगे, जिससे बच्चों को स्कूल आने-जाने में आसानी होगी।
डबराल ने बताया कि वह जल्द ही कॉलचेस्टर (यूनाइटेड किंगडम) के प्री और प्राइमरी स्कूल में पार्टनरशिप करने जा रहे हैं। यह भागीदारी विद्यापीठ के बच्चों को माडर्न शिक्षा दिलाने और विकास में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने बताया क़ि वह स्कूल में योग ध्यान की कक्षाएं भी चलाएंगे।
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