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Apr 17, 2016

प्रोफेसर बनने के लिए नेट की जरूरत नहीं, 9 लाख कैंडिडेट्स को होगा फायदा


प्रोफेसर बनने के लिए नेट की जरूरत नहीं, 9 लाख कैंडिडेट्स को होगा फायदा

एजुकेशन डेस्क। साल 2009 से पहले पीएचडी के साथ एमफिल के लिए भी रजिस्ट्रेशन कराने वाले उम्मीदवार असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए पात्र होंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऐसे एमफिल या पीएचडी धारकों को नेट व स्लेट से छूट दी है जिन्होंने इन डिग्रियों के लिए 11 जुलाई 2009 के पहले रजिस्ट्रेशन कराया था। हालांकि, इसके लिए एमएचआरडी ने कुछ नियम व शर्तें रखी हैं। इसका सीधा फायदा मध्य प्रदेश के 30 हजार से ज्यादा कैंडिडेट्स को होगा। देशभर में 9 लाख कैंडिडेट्स को फायदा...
एमएचआरडी के इस फैसले का असर एक बार फिर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा असिसटेंट प्रोफेसर के 2371 खाली पदों पर आयोजित की जा रही भर्ती परीक्षा पर पड़ने की बात सामने आ रही है। पात्रता के दायरे में आने वाले उम्मीदवार उच्च शिक्षा विभाग से अब भर्ती परीक्षा के लिए लागू शैक्षणिक योग्यता के नियमों में बदलाव की मांग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगर शैक्षणिक योग्यता संबंधी नियमों में बदलाव किए गए तो प्रदेश के करीब तीस हजार से ज्यादा उम्मीदवार इन पदों के लिए पात्र हो जाएंगे। इसके लिए विभाग और आयोग को पूरी भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाना पड़ेगा। आयोग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक इस परीक्षा के लिए केवल 5000 के आसपास ही आवेदन आए हैं। जबकि इससे पहले जारी विज्ञापन के आधार पर 15 हजार लोगों ने आवेदन किया था।
अभी इन पदों के लिए जो शैक्षणिक योग्यता रखी गई है उसके अनुसार आवेदक का नेट क्वालिफाइड होना अनिवार्य है। जबकि वर्ष 2009 से पहले उम्मीदवार के पास नेट या पीएचडी में से किसी एक का होना ही निर्धारित था। लेकिन यूजीसी द्वारा गठित अरुण निगवेकर कमेटी की अनुशंसा के आधार पर हुए फैसले में 2009 से पहले एमफिल और पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वालों को नेट या स्लेट से छूट दी गई है। उधर, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभी तक यूजीसी की ओर से इस संबंध में कोई अधिकारिक नोटिफिकेशन नहीं मिला है। इसके बाद ही नियमों में बदलाव की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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