फेसबुक से क्यों बेहतर हैं व्हाट्स ऐप, जानिये 5 कारण!
अगर लोगों से पूछा जाए कि फेसबुक और व्हाट्स ऐप में से उन्हें ज्यादा क्या पसंद है, तो ज्यादातर लोगों की पसंद व्हाट्स ऐप हो सकती है। हालाँकि, दोनों सोशल नेटवर्किंग का ही माध्यम हैं, लेकिन दोनों के फंक्शनेलिटी में काफी बड़ा फर्क है। यही वजह है कि यूथ का झुकाव फेसबुक से ज्यादा व्हाट्स ऐप और वीचेट जैसी ऐप्स के प्रति ज्यादा हो रहा है। आइये जानते हैं, पसंद में आए बदलाव के पांच बड़े कारण।
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Source: hindi.gizbot.com
फेसबुक को अपनी पसंद ना मानने की बड़ी वजह इसका ज्यादा सोशल होना है। दरअसल, अगर आप फेसबुक पर अपनी सेटिंग में बदलाव ना कर पाएं, तो आपकी कई सारी बातें सार्वजनिक हो सकती हैं। जबकि व्हाट्स ऐप और वी-चेट में आपकी बातें तभी सार्वजनिक हो सकती हैं, जब आप उन्हें करना चाहें। इसके लिए सेटिंग में कोई ख़ास बदलाव करने की जरूरत भी नहीं है।
#1व्यक्तिगत सुरक्षा:
फेसबुक से आपका पर्सनल डेटा हैक होने या उसका गलत इस्तेमाल होने का ज्यादा खतरा रहता है। क्योंकि एक ये एक पब्लिक प्लेटफार्म है और इस पर किसी की भी प्रोफाइल पर जाने के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। जबकि व्हाट्स ऐप जैसी एप्लीकेशन में अब तक इस तरह की शिकायतें सामने नहीं आई हैं और ऐसा को प्रत्यक्ष खतरा भी नजर नहीं आता है। इसलिए यह सिक्योरिटी के दृष्टिकोण से ज्यादा सेफ एंड सिक्योर है।
#2सिक्योरिटी रीजन्स:
फेसबुक पर मैसेज भेजने के बाद आप यह नहीं समझ पाते कि वह मैसेज उस तक पहुंचा है या नहीं, क्या उसने मैसेज पढ़ा है या नहीं। जबकि व्हाट्स ऐप में आपको इस इंतजार से मुक्ति मिलती है। अगर आप ऑफलाइन भी हैं, तो भी आपको तुरंत ये मैसेज मिलेंगे। ऑनलाइन होने पर इन्हें आप पढ़ सकते हैं। इसमें मैसेज का रीड/अनरीड स्टेट्स का भी पता लगा सकते हैं।
#3फास्ट मैसेजिंग:
फेसबुक पर आपको पता नहीं होता कि जिसे आप फ्रेंड मान रहे हैं, उसे आप वास्तव में जानते भीं हैं या नहीं, उसका फोटो और अन्य डिटेल्स सही या नहीं। इसलिए अननॉन और गलत लोगों से फेसबुक पर जुड़ने का खतरा ज्यादा होता है। क्योंकि आपकी फ्रेंड्स लिस्ट में वे लोग भी एड होते हैं, जिन्हें आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं। उनकी डिटेल्स ज्यातर फेक होती है। ख़ासतौर पर प्रोफाइल पिक्चर के बारे में तो इस बात को गारंटी से कहा जाने लगा है कि 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग फेक प्रोफाइल पिक का यूज करते हैं। जबकि व्हाट्स ऐप पर फेक होने का खतरा बहुत कम है। इसमें आप उन्हीं लोगों से जुड़ते और मिलते हैं, जिन्हें आप व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। उनके फोन नंबर भी आपके पास होता है। जोकि वेरीफाइड किया गया होता है।
#4कोई फेक नहीं:
फेसबुक के फ्रेंड लिस्ट में नजर आने वाले फ्रेंड में ज्यादातर बस नाम के दोस्त होते हैं, जिन्हें हम उनके प्रोफाइल के नाम और लाइक व कमेंट के द्वारा ही जानते हैं। ये रियल फ्रेंड नहीं होते। जबकि व्हाट्स ऐप पर ऐसा नहीं है।
#5सच्चा दोस्त
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