कैसे करें बचाव जीका का खतरा
इस समय पूरी दुनिया में जीका वायरस का खौफ है। ओलंपिक 2016 का मेजबान रियो भी इस वायरस से परेशान है। वहां जाने वाले पर्यटकों के लिए संशय की स्थिति बनी हुई है। भारत फिलहाल इस खतरे से बाहर है, पर आशंकाएं डराने जरूर लगी हैं। कैसे करेगा भारत इस खतरे का मुकाबला? एक खास रिपोर्ट
पूरी दुनिया में इस समय जीका वायरस की चर्चा है। इसकी चपेट में आकर कोलंबिया में तीन लोगों की जान चली गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य समस्या घोषित कर दिया है, पर भारत में फिलहाल इसका खतरा नहीं दिख रहा है। लेकिन, अगर आप दक्षिण अमेरिका के रियो में होने जा रहे समर ओलंपिक में हिस्सा लेने या फिर घूमने के मकसद से जा रहे हैं तो आप खतरे की जद में आ सकते हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसन में कार्यरत एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'हमें ऐसे कई फोन आए हैं, जिसमें विदेश जा रहे लोग इस बात से चिंतित थे कि वे इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं अथवा नहीं। इसलिए लोग इसे लेकर भयभीत हैं, यह कहना गलत नहीं होगा।' डॉक्टर को फोन कर इस तरह के प्रश्न करने वाले लोगों में से एक हैं भावना रुजते। 38 साल की भावना और उनके पति धीरज (45) ने कुछ दिन पहले ही रियो के लिए टिकट बुक कराई है। ये अगस्त में ओलंपिक देखने जाने वाले हैं। ऐसे कई लोग हैं, जो मुंबई में, रियो में और ब्राजील में डॉक्टर्स से मिल रहे हैं। मुंबई में रहने वाली वित्तीय सलाहकार भावना कहती हैं, 'सब इस बात पर सहमत हैं कि असली खतरा बच्चों और गर्भवती महिलाओं को है। इसलिए हमने सोचा कि हम क्यों न जाएं? हमारी टिकट वापस हो सकती है, पर हमने अच्छे से शोध किया है और पाया है कि टिकट कैंसिल कराने का कोई औचित्य नहीं है। यह सच है कि ऐसी जगह पर जाने पर खतरा तो है, पर आप डरकर नहीं रह सकते।' वे कहती हैं कि लोगों में किसी देश की समस्या को बढ़ा-चढ़ाकर कहने की आदत होती है, चाहे वह राजनैतिक समस्या हो या फिर चिकित्सीय। जसलोक अस्पताल में संक्रामक बीमारियों के परामर्शदाता डॉक्टर ओम श्रीवास्तव कहते हैं, 'सूचनाओं के आधार पर निर्णय करना कठिन है। हमारे पास इस समय इस वायरस के बारे में पर्याप्त सूचना नहीं है।' स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवाओं के मुख्य निदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद कहते हैं, 'सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर विस्तार से दिशा-निर्देश जारी किए हैं।' वे कहते हैं, 'इस बात का अंदेशा है कि इस वायरस से बच्चों में जन्म से पूर्व विकृतियां आ जाती हैं, इसलिए हम महिलाओं खासकर गर्भवती महिलाओं को सुझाव देते हैं कि वे पूरी सावधानी बरतें।' डॉ. जगदीश प्रसाद के मुताबिक सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और उसने निरीक्षण प्रणाली को और मजबूत किया है, जिससे यह वायरस भारत में प्रवेश न कर सके। जानकारों का कहना है कि जीका प्रभावित देशों में जाने वाले पर्यटकों की संख्या काफी कम हो गई है। भारत से भी इन देशों में लोग कम जा रहे हैं। इसलिए ट्रैवल कंपनियों को कम केंसिलेशन कराने पड़ रहे हैं। टूर एंड ट्रैवल में काम करने वाली कंपनी थॉमस कुक इंडिया के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी राजीव डी काले कहते हैं, 'हमें लगता है कि इसका असर लंबे समय के लिए होगा, लेकिन अभी समर 2016 ओलंपिक के लिए हमारे पास केंसिलेशन नहीं आए हैं।' वे कहते हैं, 'यह अवश्य है कि लोग हमारे पास 2016 ओलंपिक से जुड़े कई प्रश्न लेकर आ रहे हैं।' ट्रैवल के क्षेत्र में स्टार्ट-अप कंपनी द ब्लूबैरी ट्रेल्स की संस्थापक सुदीप्ता सान्याल कहती हैं, 'दक्षिण अमेरिका जा रहे मेरे एक कस्टमर ने हाल ही में अपनी टिकट कैंसिल कराई है। जीका वायरस के बारे में सुनने के बाद दरअसल वह अपने स्वास्थ्य को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता था।' अगर हम इस वायरस की बात करें तो यह एडीस एजिप्टी मच्छर से फैलता है। इस वायरस को फैलाने के लिए जिम्मेदार मच्छर ही डेंगू और चिकनगुनिया को भी फैलाता है, जो बीमारियां भारत में मानसून के समय बड़ा खतरा बन जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने इस बात को लेकर डर जाहिर किया है कि अगर यह बीमारी एशिया में फैल जाती है तो यहां का तापमान इसे बड़े पैमाने पर फैलाने के लिए अनुकूल साबित होगा। भारत का तापमान काफी गर्म रहता है और उमस भी यहां खूब होती है, ऐसे में यहां एडीस एजिप्टी मच्छर को बढ़ने के लिए अनुकूल अवसर मिलता है। हमारे देश में जन्म दर अधिक है, इसलिए यहां सबसे अधिक संख्या में गर्भस्थ शिशु प्रभावित हो सकते हैं। पिछले साल मई में ब्राजील में इसके मामले सामने आने के बाद माना जा रहा है कि इससे बच्चे माइक्रोसेफली (सिर का असामान्य तरीके से छोटा होना और ब्रेन डैमेज तक का
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