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Feb 26, 2016

रेलवे 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को कैसे लागू करेगा?

रेलवे 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को कैसे लागू करेगा?
नई दिल्ली-  रेलवे को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए 28,500 करोड़ रुपए का बोझ वहन करना होगा। विशेषज्ञ यह मानकर चल रहे थे कि इस अतिरिक्त खर्च्चे की भरपाई के लिए रेलमंत्री इस बजट में यात्रि किराए तथा माल भाड़े में वृद्धि का ऐलान कर सकते हैं।

लेकिन प्रभु ने बजट में यात्रि ​किराए तथा माल भाड़े में कोई वृद्धि नहीं की है। आखिर रेलवे कैसे 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर आने वाले अतिरिक्त वित्तीय बोझ को वहन करेगा? रेलवे की इस संबंध में क्या योजना है? इन प्रश्नों का जवाब रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ए.के. मित्तल ने दिया।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि नए रेल बजट में योजनागत व्यय में 21 फीसदी की वृद्धि करके 1.21 लाख करोड़ रुपए किया गया है, जिसमें वित्त मंत्रालय से 45 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे, जिसमें से 34220 करोड़ रुपए सकल बजटीय सहायता के रूप में और 10780 करोड़ रुपए रेल संरक्षा कोष के लिए मिलेगा।

उन्होंने बताया कि 12750 करोड़ रुपए आंतरिक संसाधन से, राज्यों एवं उपभोक्ताओं की साझेदारी की परियोजनाओं के मद में 18000 करोड़ रुपए, भारतीय जीवनबीमा निगम या अन्य संस्थागत ऋण के माध्यम से 23000 करोड़ रुपए तथा भारतीय रेल वित्त निगम के बॉण्ड के माध्यम से 21700 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से पडऩे वाले भार का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इससे रेलवे के खजाने पर 28500 करोड़ रुपए का भार पडेगा जो वेतन, पेंशन एवं भत्तों के मद में होगा इसमें से 12500 करोड़ रुपए का वेतन और 8500 करोड़ पेंशन पर भार आएगा।

वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद रेलवे पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को वहन करने की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि रेलवे ने इस बोझ को कम करने के लिए बिजली एवं डीजल के मद में 5000 करोड़ रुपए की बचत करने, माल ढुलाई पांच करोड़ टन बढ़ाने, मालवहन की नीति में बदलाव करके 10 की बजाय 40 वस्तुओं का मालवहन करने तथा गैर रेलवे गतिविधियों से होने वाली आय को दोगुने से अधिक करने का प्रस्ताव किया है।

उन्होंने यह भी बताया कि रेलवे एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल्स आदि क्षेत्रों में भी मालवहन के लिए तैयारी कर रही है। चेन्नई में रेल ऑटो हब बनाया जाएगा, जिससे दिल्ली और चेन्नई के बीच दोनों ओर से मालवहन हो सकेगा। उन्होंने कहा कि माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 2024 में वर्तमान के 36 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत करने का है। रेलवे माल ढुलाई में सड़क से हाथ मिलाएगी और फ्लैट वैगन से माल भरे ट्रकों को दूर दराज तक ले जाएगी, जिससे डीजल की बचत होगी। कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।

मित्तल ने बताया कि इससे पहले जब भी वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुईं, तो परिचालन अनुपात पांच फीसदी बढ़ जाता था लेकिन इस बार परिचालन अनुपात मात्र दो फीसदी बढ़ा है। इस साल परिचालन अनुपात 90 प्रतिशत रहा जबकि 2016-17 में इसके 92 प्रतिशत रहने का अनुमान है।


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