इतिहास में आज: 27 अक्टूबर
कमर 32, लंबाई 85, जेब बटन वाली, मोहरी 19, रेडीमेड के जमाने में क्या आपको दर्जी या टेलर मास्टर की पैरों से चलने वाली सिलाई मशीन याद है? इसी से जुड़ा है आज का इतिहास.
27 अक्टूबर 1811 को जन्मे आइजैक मेरिट सिंगर ने ही दुनिया को ये सिलाई मशीन दी. सिंगर अमेरिकी खोजी, कलाकार और उद्योगपति थे. जवानी में सिंगर को अक्सर ऐसा लगता था कि जैसे कपड़े वो चाहते हैं वैसे कोई बनाता ही नहीं है. तब दर्जी भी सिलाई के लिए भारी भरकम मशीनों का इस्तेमाल कर रहे थे. इनसे एक मिनट में 40 टांके ही लगते थे और बारीक काम मुश्किल से होता था.
सिंगर इससे ऐसे दुखी हुए उन्होंने अपने कपड़े खुद सिलने का फैसला किया. लेकिन धीरे धीरे उन्हें पता चला कि सिलाई बहुत कठिन काम है. इसे सरल बनाने के लिए उन्होंने छोटी और आसान मशीन बनाने की सोची और 1839 में वो सफल भी हो गए.
'हिपस्टर' बनने के नुस्खे
पहनें अब्बा या दादाजी जैसे कपड़े
कहते हैं ना कि पुराना फैशन घूम के वापस आता है. इसी तर्ज पर हिपस्टर्स वाकई अपने पिता या दादाजी के जमाने में चलने वाला फैशन अपनाते हैं. सत्तर के दशक की वो बेलबाटम पैंट या कुछ भी ऐसा जिससे पहनावे में बेपरवाही झलकती हो.
इसके बाद उन्होंने मशीन में और सुधार किये. मशीन को लकड़ी और लोहे से तैयार किया. उसे पैरों से चलाने वाला बनाया. उनकी मशीन पारंपरिक मशीनों की तुलना में एक मिनट में 900 टाकें लगाती थी. सिलाई के लिहाज से ये बड़ी क्रांति थी. 1949 में सिंगर ने ड्रिल रॉक नाम की अपनी इस मशीन को पेटेंट करा दिया. 1860 आते आते सिंगर कंपनी मशहूर हो गई. गली गली में स्टाइल पहुंच गई. हर जगह उसकी मशीनें दिखने लगी, तब अब तक जगह जगह सिंगर की सिलाई मशीनें आसानी से दिख जाती हैं.
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