24 सितंबर को जन्मे व्यक्ति:-
1856 - प्रताप नारायण मिश्र - हिन्दी खड़ी बोली और 'भारतेन्दु युग' के उन्नायक।
1861 - भीकाजी कामा - प्रसिद्ध भारतीय महिला क्रांतिकारी।
1925 - औतार सिंग पैंटल, भारतीय, चिकित्साशास्त्र के वैज्ञानिक।
1950 - मोहिन्दर अमरनाथ - भूतपूर्व प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी।
1963 - पंकज पचौरी - वरिष्ठ टेलीविज़न पत्रकार।
24 सितंबर को हुए निधन:-
2006 - पद्मिनी - दक्षिण भारतीय अभिनेत्री व मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना. नृत्य की महान रोशनी (नृत्यापेरोली) के नाम से मशहूर।
24 सितंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ:-
1996 - व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर होने शुरू, सं.रा. अमेरिका संधि पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश।
2003 - फ़्रांस के राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया।
2005 - आई.ए.ई.ए. ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे को सुरक्षा परिषद को सौंपने का निर्णय लिया।
2007 - म्यांमार की सैन्य सरकार के ख़िलाफ़ राजधानी यांगून में एक लाख से अधिक लोग सड़कों पर उतरे। चीन और नेपाल ने दूर संचार के क्षेत्र में एक अहम् अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किया।
2008 -
कपिल देव, भारतीय क्रिकेटर को थलसेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने एक समारोह में प्रादेशिक सेना में लेफ़्टिनेंट कर्नल की मानद पदवी प्रदान की।
मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में नालिनी और दो अन्य दोषियों की समय पूर्व रिहाई सम्बन्धी याचिका खारिज की।
2009 - देश के पहले चन्द्रयान-1 ने चाँद की सतह पर पानी खोज निकाला।
इतिहास में आजः 24 सितंबर
24 सितंबर 1932 के दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच पुणे की यरवडा सेंट्रल जेल में एक विशेष समझौता हुआ था.
इस समझौते से विधानसभाओं में 'डिप्रेस्ड क्लास' के लिए सीटें सुरक्षित की गईं. आजाद भारत के लिए संविधान बनाने के लिए ब्रिटेन ने 1930 से 1932 के बीच अलग अलग पार्टियों के नेताओं को गोलमेज कांफ्रेंस के लिए बुलाया गया. महात्मा गांधी पहली और आखिरी बैठक में शामिल नहीं हुए थे.
पहली बैठक में डॉ. अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार के उस कदम का समर्थन किया जिसमें दलितों के लिए अलग से निर्वाचक मंडल रखने की सलाह दी गई थी. तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री मैकडोनेल्ड ने मुस्लिम, ईसाई, एंग्लो इंडियन और सिखों के साथ ही दलितों के लिए अलग से निर्वाचक मंडल बनाने की सलाह दी. यह जनरल इलेक्टोरेट के तहत ही बनाया जाना था. जिससे दलितों (डिप्रेस्ड क्लास) को दोहरे मतदान की अनुमति मिल जाती. वो अपने उम्मीदवार साथ ही सामान्य उम्मीदवार के लिए भी चुनाव में शामिल होते.
गांधी ने इसका कड़ा विरोध करते हुए दलील दी कि इससे हिंदू समुदाय में विभाजन होगा. 20 सितंबर 1932 से वे ब्रिटिश प्रधानमंत्री के प्रस्ताव के विरोध में आमरण अनशन पर चले गए. जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तो 24 सितंबर को गांधी जी और अंबेडकर के बीच समझौता हुआ जिसे पुणे समझौता या पूना पैक्ट कहा जाता है.
यह तय हुआ कि जनरल इलेक्टोरेट में ही डिप्रेस्ड क्लास के उम्मीदवारों के लिए सीटें आरक्षित होंगी. उस समय अलग अलग राज्यों की एसेंबली में कुल मिला कर 148 सीटें दलितों के लिए आरक्षित की गई.
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