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इतिहास में आज: 4 दिसंबर
इतिहास में आज: 4 दिसंबर
1952 में आज ही के दिन इंग्लैंड में स्मॉग की घनी परत के छा जाने के कारण हजारों लोगों की जान चली गई थी.
4 दिसंबर के दिन इंग्लैंड के लंदन शहर में भारी स्मॉग या धुंध छाने लगी थी. ऐसा चार दिनों तक चलता रहा जिसके कारण कम से कम 4,000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. उच्च दबाव वाली वायु के घनत्व को टेम्स नदी की घाटी में जमता देखा गया. जैसे ही पश्चिम से आने वाली ठंडी हवा इससे टकराई, लंदन शहर के ऊपर इकट्ठी हुई हवा वहीं की वहीं फंस गई. तापमान गिर जाने के कारण समस्या और बढ़ गई जिससे लोग अपने घरों में गर्मी पाने के लिए ज्यादा कोयला जलाने लगे. इस तरह कोयले का धुआं, कालिख के साथ आस पास की कारों और उद्योगों से आने वाले सल्फर डायॉक्साइड ने मिल कर एक असाधारण मिश्रण बना दिया और पूरा शहर भारी धुंध में घिर गया. 5 दिसंबर की सुबह होते होते सैकड़ों वर्ग मील के क्षेत्र को एक धुंधलके के पर्दे ने अपनी चपेट में ले लिया.
यह पर्दा दिन पर दिन और भी गहरा होता गया और 7 दिसंबर आते आते सूरज की किरणें भी इसे भेद नहीं पा रही थीं. खतरे को देखते हुए आवाजाही रोकने का फैसला किया गया लेकिन तब तक कई रेल दुर्घटनाएं हो चुकी थीं. इसके अलावा इंसानों और जानवरों को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी और वे कफ की उल्टियां कर रहे थे. इसके अलावा हजारों लोग सोते हुए ही मौत की नींद सो गए. 9 दिसंबर को जाकर यह खतरनाक धुंध छंटी. ब्रिटिश सरकार ने इस दुर्घटना के मद्देनजर वायु प्रदूषण से संबंधित कानून कड़े किए और लोगों से घर गर्म करने के लिए कोयले का इस्तेमाल न करने की अपील की.
इतिहास में आजः 3 दिसंबर
इतिहास में आजः 3 दिसंबर
स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 1884 में आज ही के दिन हुआ था. देशरत्न की उपाधि पाने वाले और दो बार राष्ट्रपति चुने जाने वाले भारत के अकेले शख्स हैं.
राजेंद्र बाबू के नाम से विख्यात इस स्वतंत्रता सेनानी ने स्कूल के दिनों से ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया था और आगे चल कर हर मोर्चे पर उसे सच साबित किया. उनकी पढ़ाई के दिनों के दर्जनों किस्से आज भी भारत में विद्यार्थियों को प्रेरणा देने के लिए सुने सुनाए जाते हैं.
आजादी की लड़ाई के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह वकील थे. महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक राजेंद्र बाबू बहुत जल्दी ही बिहार के बड़े नेताओं में शामिल हो गए. 1934 में वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुने गए. देश के आजाद होने पर वह संविधान सभा के अध्यक्ष चुने गए. इसी सभा ने देश का संविधान तैयार किया. 1950 में जब देश गणतंत्र बना तो संविधान सभा ने उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति चुना. 1951 में पहले आम चुनाव के बाद वे भारतीय संसद के इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए चुने गए देश के पहले राष्ट्रपति बने. 1957 में उन्हें दोबारा इस पद के लिए चुना गया.
देश के सर्वोच्च पद पर रहने के बावजूद लोग उनकी प्रतिभा और सादगी के कायल रहे हैं जिसने भारत के नीति नियंताओं के लिए नैतिकता की लकीर बहुत पहले खींच दी थी.
Jillafer Araji form with all praman patra and banhedhari sathe total 8 pages
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E-DRASHTI CURRENT AFFAIRS MAGAZINE IMPORTANT FOR ALL COMPITITIVE EXAM NOVEMBER MONTH-2015
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